कांग्रेस की बिहार क्रांति महासम्मेलन का आगाज कल
पटना
कांग्रेस बिहार में अपने चुनावी अभियान का श्रीगणेश करने जा रही है। पार्टी के बिहार क्रांति वर्चुअल महासम्मेलनों की शुरुआत मंगलवार को पूर्वाह्न 11 बजे पश्चिम चंपारण के बेतिया विधानसभा क्षेत्र से होगी। पहले चरण में उत्तर बिहार के 20 जिलों से इस अभियान की शुरुआत की जा रही है। इन वर्चुअल सम्मेलनों के लिए पार्टी ने दिल्ली स्थित पार्टी कार्यालय और पटना में कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय सदाकत आश्रम में वार रूम बनाए हैं। इसके अलावा संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में भी स्क्रीन लगाकर लोगों के जुड़ने की व्यवस्था की जा रही है।
'बोले-बिहार बदलें सरकार' के नारे के साथ कांग्रेस करेगी सत्ता परिवर्तन का आह्वान
कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव को महागठबंधन का हिस्सा रहते हुए लड़ेगी। पार्टी ने तमाम मशक्कत के बाद चुनावी नारा चुन लिया है। कांग्रेस इस चुनाव में राज्य में सत्ता परिवर्तन का उद्घोष करेगी। इसीलिए नारा गढ़ा गया है बोले बिहार-बदले सरकार। अपनी चुनावी गतिविधियों में पार्टी ने इस नारे का प्रयोग भी शुरू कर दिया है। एक सितंबर से शुरू हो रहे पार्टी के बिहार क्रांति वर्चुअल महासम्मेलन के लोगो में भी इसी नारे का प्रयोग किया गया है।
बिहार विधानसभा चुनावों के चुनाव को लेकर कांग्रेस की रिसर्च टीम बिहार से लेकर दिल्ली तक सक्रिय है। पार्टी ने बीते दिनों पहली बार डिजिटल सदस्यता अभियान शुरू किया था। ऑनलाइन सदस्यता की यह कवायद भी चुनावी अभियान का ही हिस्सा है। तभी पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान से जुड़े कुछ नारे गढ़े गए। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय टीम ने चार-पांच नारे बिहार टीम को भेजे थे। इसमें अबकी बार, कांग्रेस सरकार, हाथ से हाथ मिलाएं-फिर से नया बिहार बनाएं जैसे कई नारे शामिल थे।
चूंकि पार्टी महागठबंधन का हिस्सा है और वो अकेले चुनावी समर में नहीं उतर रही, सो अबकी बार कांग्रेस सरकार वाला नारा सही नहीं बैठता। ऐसे में बोले बिहार- बदलें सरकार नारे का चयन किया गया है। कांग्रेस ने इसी नारे के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने का फैसला किया है। इसका प्रयोग भी अपने चुनावी कार्यक्रमों में बैनर, पोस्टर, होर्डिंग, बैकड्राप आदि में करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा वर्चुअल महासम्मेलनों के लोगो में भी इसी का प्रयोग हो रहा है।
बदले स्वरूप में चुनावी अखाड़े में उतरेंगे NDA और महागठबंधन
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बस तारीख की घोषणा शेष है। वैसे चुनावी महासमर के लिए सियासी मोर्चेबंदी तेज हो गई है। इस बार का चुनाव इस मायने में खास रहेगा कि पिछले चुनाव में एकसाथ रहे कई दल इस बार के चुनावी अखाड़े में एक- दूसरे के खिलाफ ताल ठोकते नजर आएंगे। ऐसा एनडीए और महागठबंधन का स्वरूप बदल जाने की वजह से होगा।
वर्ष 2015 के चुनाव में एनडीए के बैनर तले -भाजपा, लोजपा, रालोसपा और हम मिलकर चुनाव लड़े थे। भाजपा का वर्षों पुराना सहयोगी जदयू इस गठबंधन में नहीं था। जदयू ने विरोधी महागठबंधन से एनडीए के खिलाफ हुंकार भरी थी। उसने राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर एनडीए को पटखनी दी और राज्य में महागठबंधन की सरकार बनी। लेकिन बाद में सियासी समीकरण बदले और जदयू फिर एनडीए के खेमे में शामिल होकर सरकार बनाया। लिहाजा भाजपा और जदयू जहां गत चुनाव में आमने- सामने थे, वे दोनों अब मिलकर महागठबंधन को चुनौती देंगे। वहीं, गत चुनाव में सत्ता का शहसवार रहा राजद अभी मुख्य विपक्ष की भूमिका में है।
'RJD-कांग्रेस की सरकार ने दलितों, पिछड़ों व महिलाओं की हकमारी की'
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया है कि राजद-कांग्रेस की सरकार ने 23 साल तक बिहार में पंचायतों का चुनाव नहीं कराया। 23 साल बाद 2003 में चुनाव कराया तो एकल पदों पर दलितों, पिछड़ों व महिलाओं को आरक्षण से वंचित कर उनकी हकमारी की। एनडीए की सरकार आने के बाद इन्हें आरक्षण दिया गया। नतीजतन, आज हजारों की संख्या में पिछड़ा, अतिपिछ़ड़ा और महिलाएं एकल पदों पर चुनाव जीत कर आ रही हैं।