कंदमूल के सेवन से मिट रही बैगाओं की भूख, नहीं मिला रोजगार, बढ़ गई आर्थिक तंगी

कंदमूल के सेवन से मिट रही बैगाओं की भूख, नहीं मिला रोजगार, बढ़ गई आर्थिक तंगी

बालाघाट
बड़ी विडम्बना की बात है कि सरकार करोड़ों रूपये खर्च करके भी जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में निवास करने वाली बैगा आदिवासी जनजाति के लोगो का उद्धार नहीं कर पा रही है। जिस कारण उनकी परिस्थिति और उनके हालातो बदले नही जा सके है। वर्षो से इनके नाम पर सरकार के करोड़ों खर्च हो चुके है, लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को अधूरे विकास के कारण मिले जख्मों को भरा नहीं जा सका है। क्षेत्र में विकास की गंगा बहाने के लिये राशि तो प्रतिवर्ष खर्च होती है लेकिन विकास को सही आयाम नहीं मिल पा रहा है। गांवो का विकास करने सडक, पुल-पुलियों, बिजली, स्वास्थ एवं शिक्षा पर करोडों रूपये खर्च किये जा रहे है। लेकिन प्रयास पूर्णत: सफल नहीं हो पा रहा है, जिस कारण ग्रामीण भी लाभान्वित होने से वंचित हो रहे है।

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सड़क पुल पुलियों का निर्माण कार्य अधूरा होने के कारण इन दिनों एक गांव को दूसरे गांव से संपर्क कट चुका है। जनता को विकास का आईना दिखाने गांवों में आवास, शौचालय आंगनबाडी भवन सामुदायिक भवन आदि की सुविधायें दिलाई गई है, किंतु जमीनी हकीकत  किसी से छिपी नही है। सरकारी अफसर अगर अपने दफ्तर से निकलकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का जायजा ले,तो हकीकत स्वत: पता चल जायेगी। जिले के बिरसा, परसवाडा,बैहर, लांजी, किरनापुर विकासखंड के अंतर्गत आने वाले अनेको गांव, टोले-मजीरो में बैगा आदिवासी लोगो के हालात फटेहाल स्थिति में है। वैसे तो बुनियादी सुविधाओ को दिलाने के आशय से करोड़ों रूपये खर्च किये जा चुके है, लेकिन गांव अभी भी सुविधा विहिन है। जिले के दूर-दराज एवं दुर्गम नक्सल प्रभावित गांवों का दौरा करके वहां की जमीनी हकीकत  उजागर की है, लेकिन अभी तक हालातो से पर्दा नहीं हट पाया है। एक और जमीनी हकीकत से आप रूबरू होगें, जहां जिला मुख्यालय से करीब 120 किलोमीटर सायर-संदूका गांव में बसने वाले बैगाओ समुदाय के लोग भूखमरी से जंग लडके कंदमूल खाकर दिन गुजार रहे है। जहां उनकी हालत दिनो दिनो दयनीय होती जा रही है।

लांजी के देवरबेली ग्राम पंचायत के अधीन आने वाले सायर संदूका और टेमनी गांव, जहां बैगा जनजाति के लोगो की संख्या बहुतायत है। इन गांवो में पहुचंने के लिये मुख्यमंत्री सडक योजना से वर्ष 2019-20 में सडक और पुल पुलियों का निर्माण कार्य करवाया जा रहा है, जिसकी निर्माण एजेंसी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग है। यह भी बता दे, वनग्राम धर्मशाला मुख्यमार्ग से सायर संदूका की दूरी 4.10 किलोमीटर है, जहां पुल पुलियों का निर्माण कार्य अधूरा है। ग्रेवल सडके अधूरी है, जिसकी वजह से गांव के लोगो का देवरबेली, धर्मशाला या मछुरदा तक आना जाना बंद है।  

बता दे, राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना से वर्ष 2012-13 में नक्सल प्रभावित क्षेत्र के कई गावो को विद्युतीकरण कर दिया गया है, लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि ट्रासफार्मर, विद्युत पोल लगने के बाद भी लोगों के घरों से अंधेरा भगाया नहीं जा सका है। यहां तक की, बैगाओं को घरों को भी विद्युतीकरण से जोड़ दिया गया है लेकिन बिजली नहीं दी जा रही है। आलम यह है कि वे लोग अंधेरे में जीवन यापन करने मजबूर है तो वही इन दिनों जहरीले जीव जंतु से होने वाले खतरे के साये में पल रहे है। ग्रामीणों के द्वारा बिजली न होने की शिकायत बिजली विभाग और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जिला मुख्यालय में बैठे आला अधिकारियों को अनेकों बार अवगत करा दी जा चुकी है लेकिन जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे है।

 प्राप्त जानकारी अनुसार सायर संदूका गांव में लगभग 50 घर बैगाओ के है जिन्हे प्रधानमंत्री आवास योजना में चयनित करके उनके आवास का भी निर्माण कार्य करवाया गया है। किंतु हकीकत में अंधिकांश आवास अधूरे पडे है। जो पूर्ण हो चुके है, वे बारिश में टपक रहे है। ऐसे में हितग्राहियो का आवास में निवास करना दुभर हो चुका है। सुनउ बैगा के अनुसार वह जिस आवास में रह रहा है वह टपक रहा है।  वही सुखऊ बैगा ने बताया कि उसका आवास अभी भी अधूरा पड़ा हुआ है।

ग्रामीणो को रोजगार मुहैया कराने के आशय से जाबकार्ड धारको को मनरेगा योजना के तहत रोजगार की गांरटी दी गई है। यह सत्य भी है कि कोरोना महामारी के दौरान लागू किये गये लॉकडाउन में वापस आये प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिया गया है,लेकिन दुर्गम और पहुंच विहिन गांव की पडताल करने पर पता चला कि सायर संदूका के ग्रामीणो के पास रोजगार नही है जिसकी वजह से ग्रामीण आर्थिक तंगी और फाकाकसी के शिकार हो चुके है। जब ज्यादा भूख सताने लगती है तो वे लोग जंगलो का रूख करके कोदो कुटकी और जंगली कंदमूल से अपनी भुख मिटाते है। ऐसे हालातो की कतार में ग्राम बोदरा, धर्मशाला, कोमो रंजना, कौआपानी और उसरी गांव भी शामिल है, जहां के लोगो के हालात बिगडे हुए है।