ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, यूरोप की तरह देश के नेशनल हाईवे के किनारे बनेंगी सुरंगें
नई दिल्ली
ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका और यूरोप के विकसित देशों की तर्ज पर भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों (नेशनल हाईवे) के किनारे एकीकृत जन उपयोगी सुरंगें बनाई जाएंगी। इसमें बिजली-टेलीफोन केबल से लेकर पेयजल, सीवर पाइप आदि को एक सुरंग के भीतर बिछाया जाएगा। इस तकनीक से आम जनता को बाधारहित आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। सेंसर के माध्यम से इनकी निगरानी व मरम्मत संभव होगी। खास बात यह है कि भविष्य में जन उपयोगी कार्यों में किसी प्रकार के बदलाव को आसानी से अंजाम दिया जा सकेगा। इससे सड़कों को बार-बार तोड़ने से जनता को होने वाली परेशानी का सिलसिला बंद होगा। राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे एकीकृत जन उपयोगी सुरंगें बनाने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से सितंबर के प्रथम सप्ताह में सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय को भेजा गया है। मंत्रालय ने एनएचएआई के चेयरमैन एसएस संधू को पिछले हफ्ते अवधारणा नोट भेज दिया है। इसमें उल्लेख है इकोनॉमिक जोन व राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे एकीकृत जन उपयोगी सुरंगें बिछाने के लिए कंसल्टेंट एजेंसी को नियुक्त कर अध्ययन कराया जाए। साथ में हिदायत दी है कि अध्ययन रिपोर्ट दो माह के भीतर मंत्रालय को मिल जानी चाहिए, ताकि उक्त तकनीक पर तेजी से काम किया जा सके।
फॉल्ट होने पर तुरंत अलर्ट मिलेगा
एनएचएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में फाइबर ऑप्टिकल, केबल टीवी, बिजली, टेलीफोन केबल, पेयजल, सीवर, तेल, स्टीम, पीएनजी, जल निकासी आदि पाइप राजमार्गों के किनारे खुदाई कर के बिछाए जाते हैं। कई बार दूसरी तरफ ले जाने के लिए निर्माण के बाद राजमार्गों को तोड़ा जाता है। इसमें समय और पैसा बर्बाद होने के साथ जनता को परेशानी उठानी पड़ती है। जन उपयोगी एकीकृत सुरंग बनने से यह झंझट समाप्त हो जाएगी। इस तकनीक से बारिश, बाढ़, भूकंप, तूफान से उपयोगी सुविधाओं को नुकसान नहीं होगा। लोगों को निर्बाध आपूर्ति मिलती रहेगी। सुरंग के भीतर सेंसर लगे होंगे, जिससे किसी प्रकार का फॉल्ट होने का संबंधित विभाग को तुरंत अलर्ट मिलेगा।
जरूरत के अनुसार आकार छोटा-बड़ा होगा
एनएचएआई के मुताबिक एकीकृत जन उपयोगी सुरंगें का छोटा अथवा बड़ा आकार मांग व जरूरत के अनुसार होगा। कुछ सुरंगें आदमकद के बराबर होंगी, जिससे तकनीशियन आराम से आ-जा सकेंगे। कहीं पर सुरंगों में कर्मचारी अपने बड़े व भारी वाहन से आराम से जा सकेंगे। वहीं कुछ स्थानों पर सुरंगों में सिर्फ केबल-पाइपलाइन बिछाने के लिए पर्याप्त जगह होगी। इसके अलावा सुरंगों में जगह-जगह इंस्पेक्शन चैंबर बनाए जाएंगे। इसकी मरम्मत, रखरखाव व निगरानी के लिए अलग से एजेंसी नियुक्त की जाएगी। सुरंग निर्माण महंगी जरूरत है, लेकिन इसके तमाम दीर्घकालिक फायदे हैं।