उद्धव ठाकरे का शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस का संयुक्त रूप से नेता बनना तय

उद्धव ठाकरे का शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस का संयुक्त रूप से नेता बनना तय

 मुंबई 
महाराष्ट्र  में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बदले राजनीतिक परिदृश्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए शिवसेना-राकांपा- कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे को अपना संयुक्त नेता चुनने का फैसला किया है। शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने मंगलवार को यह जानकारी दी। शिवसेना 56 सीटों के साथ विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है।

राज्य में देवेंद्र फडणवीस नीत नवगठित भाजपा सरकार ने बहुमत साबित करने से पहले ही मंगलवार को इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद शिवसेना राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से सरकार बनाने का न्यौता पाने की हकदार हो गई है भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। 

शिवसेना नेता ने कहा, ''उद्धव ठाकरे मुंबई के होटल में शाम को होने वाली बैठक में तीनों पार्टियों के संयुक्त नेता चुने जाएंगे, ताकि सरकार बनाने का दावा पेश किया जा सके। इसके बाद शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) और कांग्रेस संयुक्त रूप से सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के समक्ष संयुक्त पत्र सौंपेंगे।
 
राकांपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि तीनों पार्टियां- शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस- अधिकतर मुद्दों को सुलझा चुकी हैं। उन्होंने कहा, ''मैं नहीं समझता कि तीनों पार्टियां सरकार बनाने का दावा पेश करने में और समय लेंगी।

विधान भवन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फडणवीस के इस्तीफे की घोषणा के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार बुधवार को सदन के पटल पर शक्तिपरीक्षण कराने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ''इसके बजाय राज्यपाल दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए आमंत्रित करेंगे।

अधिकारी के मुताबिक इसके लिए राज्यपाल को शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के संयुक्त बयान और विधायकों के हस्ताक्षर वाली सूची की जरूरत होगी। शिवसेना के 56, राकांपा के 54 और कांग्रेस के 44 विधायकों की संयुक्त संख्या 154 होती है जबकि 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए केवल 145 सदस्यों की जरूरत है। 

मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तीन दिन बाद मंगलवार को देवेंद्र फडणवीस ने अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि उप मुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजित पवार के निजी कारणों से इस्तीफा देने के बाद भाजपा के पास सदन में बहुमत नहीं है।