इन महिलाओं का राजनीति से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं, फिर भी धुरंधरों से लड़ने को तैयार

इन महिलाओं का राजनीति से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं, फिर भी धुरंधरों से लड़ने को तैयार

पटना                                                                                                                                                                                                          
बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भागीदारी हमेशा से राजनीति की नई दिशा और दशा तय करती रही है। चाहे मतदाता के तौर सरकार बनाने की बात हो या फिर उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरना। जैसे-जैसे प्रत्याशी नामांकन दाखिल कर रहे हैं। चुनाव उतना ही दिलचस्प होता जा रहा है। पटना जिले में 14 विधानसभा क्षेत्र हैं। लगभग सभी जगह से महिलाएं खुद की बदौलत चुनाव मैदान में उतर चुकी हैं। पहली बार चुनाव लड़ रहीं कई महिलाओं का राजनीति से दूर-दूर तक कोई नाता-रिश्ता नहीं है। फिर भी वह राजनीति के धुरंधरों का सामना को तैयार हैं। 

सुषमा साहू, निर्दलीय, बांकीपुर
बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र से सुषमा साहू भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। वार्ड पार्षद और राष्ट्रीय महिला की सदस्य रह चुकी सुषमा साहू का राजनीति से कोई रिश्ता-नाता नहीं रहा है। उनके अनुसार समाज के लोगों ने चुनाव लड़ने को प्रेरित किया है। पटना विश्वविद्यालय से एमए, बीएड और एमएड की पढ़ाई कर चुकी हैं। समाजसेवा में शुरू से रुचि रही है। खुद घरेलू हिंसा झेल चुकी सुषमा साहू महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी के लिए काम करना चाहती हैं। एक विधायक की जिम्मेवारियों से रूबरू नहीं हैं, लेकिन एक जनप्रतिनिधि के तौर पर वार्ड पार्षद के रूप में काम कर चुकी हैं। 

शांभवी सिंह 
राजनीति से कोई नाता नहीं रहा है। पिछले दस सालों से पत्रकारिता की हैं। पटना से लेकर दिल्ली तक महिलाओं के अधिकार की बातों को प्रमुखता से लिखती रही हैं। शांभवी का कहना है कि उन्होंने राजनीति को सिर्फ दूर से देखा है। अब राजनीति के घेरे के अंदर आकर परिवर्तन के लिए काम करना चाहती हैं। वह कहती हैं कि बिहार को राजनेता नहीं सिर्फ नेता की जरूरत है। पॉलिसी आधारित राजनीति पर काम करने की जरूरत है। इन्होंने किसी भी प्लेटफॉर्म से पहले कभी चुनाव नहीं लड़ा है। न कोई राजनीतिक बैकग्राउंड है। एक पत्रकार होने के नाते समाजसेवा खुद जुड़ा होता है, इस वजह से वह चुनाव लड़ना चाहती है। 

प्रतिमा कुमारी 
बेटियों के बाल विवाह के खिलाफ फुटबॉल टीम बनाने वाली समाजसेवी प्रतिमा कुमारी फुलवारीशरीफ से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। प्रतिमा कुमारी का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है। एलएलबी की पढ़ाई की हैं। वह विधायक के काम से अवगत नहीं है पर जानती हैं कि विकास की नीतियां बनाने में एक विधायक का अहम रोल होता है। अपने क्षेत्र में विकास कार्यों की निगरानी करती हैं। महिलाओं के साथ हो रही हिंसा और भेदभाव को खत्म करना चाहती हैं। उन्होंने पिता की प्रेरणा से राजनीति में आने का फैसला लिया है। प्रतिमा एक बार सरपंच का चुनाव लड़ चुकी हैं। वह समाज के वंचितों और शोषितों की आवाज बनना चाहती हैं।