सेक्स को लेकर गलतफहमी का शिकार न हों

सेक्स को लेकर गलतफहमी का शिकार न हों

बहुत से लोग अपनी सेक्स लाइफ और जीवन में सेक्स की कमी को लेकर बहुत ज्यादा परेशान रहते हैं लेकिन अपनी असंतुष्टि के लिए उन्हें जो कदम उठाना चाहिए उसके प्रति उदासीन रवैया अपनाकर रखते हैं। इतना ही नहीं अपनी समस्याओं के जवाब और हल के लिए सही व्यक्ति से संपर्क करने की बजाए वे दोस्तों से बात करते हैं, गॉसिप करते हैं और कई बार ऑनलाइन पॉर्न के चक्कर में भी फंस जाते हैं। हकीकत यही है कि ज्यादातर लोग जो सेक्सॉल्जिस्ट्स के पास जाते हैं उन्हें किसी तरह की मेडिकल दिक्कत नहीं होती बल्कि वे गलतफहमी और मिथक का शिकार होते हैं। हमने बात की 8 sexologists से जो 8 सबसे कॉमन सेक्स मिथक के बारे में बता रहे हैं जिनपर आपको बिलकुल यकीन नहीं करना चाहिए...

मिथक:'मेरे अलावा बाकी सभी लोग मुझसे बेहतर और ज्यादा सेक्स कर रहे हैं'
मुंबई के KEM हॉस्पिटल और जीएस मेडिकल कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ सेक्शुअल मेडिसिन के एचओडी प्रफेसर डॉक्टर राजन भोंसले कहते हैं, मैं ज्यादातर ऐसे कपल्स की काउंसलिंग करता हूं जो 30 से 40 साल के बीच होते हैं, वैसे तो हेल्दी होते हैं लेकिन उनके बीच इंटिमसी की कमी होती है। उनकी सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है कि वे अपनी सेक्स लाइफ को अपने दोस्तों या फिर मैग्जीन में जो वह पढ़ते हैं उन लोगों से कम्पेयर करने लगते हैं। लिहाजा अपने सेक्सलेस रिलेशनशिप की वजह क्या है इसके कारणों को सबसे पहले खोजें। अगर हेल्थ से जुड़े मुद्दे हैं तो उनका मेडिकली हल निकालें और अगर रिलेशनशिप से जुड़ा मुद्दा है तो काउंसलिंग के जरिए। कई बार एक कपल अपने काम, स्मार्टफोन और जिम्मेदारियों में इतना बिजी हो जाता है कि वे साथ में क्वॉलिटी टाइम नहीं बिता पाते। लिहाजा जैसे ही आपको कारण मिल जाएगा, हल भी आपके सामने ही होगा।

मिथक:'40 साल की उम्र में सेक्स खत्म हो जाता है'
सेक्शुअल हेल्थ फिजिशन, कंसलटेंट और काउंसलर डॉ दीपक जुमानी कहते हैं, 40 या 50 साल की उम्र के बहुत से लोग बेडरूम में परफॉर्म नहीं कर पाते क्योंकि उनकी बॉडी सेक्स करने लायक ही नहीं रह जाती है। वे डायबीटीज, हाइपरटेंशन और मोटापे का शिकार हो चुके होते हैं और इस पर ध्यान भी नहीं देते हैं। आंकड़ों की मानें तो 40 साल से ऊपर के करीब 50 प्रतिशत पुरुष इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या से पीड़ित रहते हैं। ऐसे में जब वे परफॉर्म नहीं कर पाते तो उसे कमजोरी मान लेते हैं। इतना ही नहीं उनका पार्टनर उनके बारे में क्या सोचेगा इस वजह से भी वह सेक्स करने से कतराने लगते हैं। जबकि हकीकत यह है कि कोई भी व्यक्ति 90 साल की उम्र तक सेक्स कर सकता है। पुरुषों को यह समझना होगा कि प्रीमच्योर इजैक्युलेशन कोई बीमारी नहीं बल्कि बिहेवियर इशू है जिसे आसानी से सुलझाया जा सकता है।

मिथक:'शादीशुदा कपल दूसरों के बारे में फैंटसाइज नहीं कर सकते'
कन्सलटेंट सेक्सॉल्जिस्ट डॉ पायल एस कामथ कहती हैं, आमतौर पर कमिटेड रिलेशनशिप में दूसरों के बारे में फैंटसाइज करना यानी सेक्स के दौरान किसी और की कल्पना करने को शक और अपराध की नजर से देखा जाता है। लोगों की ऐसी धारणा है कि दूसरों के बारे में सेक्शुअली सोचना चीटिंग यानी धोखाधड़ी कहलाता है। लेकिन मैं कपल्स को यही बताती हूं कि किसी तरफ सेक्शुअली अट्रैक्ट होना इंसान का सामान्य नेचर है। एक व्यक्ति के साथ रिश्ते में रहना हमारी चॉइस है, मजबूरी नहीं। जलन और शक की भावनाओं से खुद को चोट पहुंचाने की बजाए अपनी इच्छाओं के बारे में खुलकर पार्टनर से बात करें। साथ ही पार्टनर जो भी कहते हैं उसे धैर्य के साथ सुनें।

मिथक:'मुझे पार्टनर के एक्स से बेहतर परफॉर्म करना है'
सेक्सॉल्जिस्ट डॉ पवन सोनवर कहते हैं, न्यू एज कपल्स के बीच असुरक्षा, बेचैनी, अतिसंवेदनशीलता और अपर्याप्तता की भावनाएं बहुत ज्यादा देखने को मिलती हैं, खासतौर पर अगर कपल में से किसी एक पार्टनर का सेक्शुअल पास्ट रहा हो तो। इस तरह की असुरक्षा की भावना की वजह से महिलाएं कॉस्मेटिक सर्जरी करवाकर अपना ब्रेस्ट और बटक एन्लार्ज करवाती हैं, जेनिटल एरिया का ब्यूटिफिकेशन करवाती हैं तो वहीं पुरुषों में इसकी वजह से परफॉर्में ऐंग्जाइटी की प्रॉब्लम हो जाती है। दोनों पार्टनर को समझना चाहिए कि अच्छे सेक्स का संबंध आपके शारीरिक आकार से नहीं बल्कि इमोशनल इंटिमसी और कंफर्ट से है। आपका पार्टनर आपके साथ इसलिए है क्योंकि वह आपको पसंद करता है और प्यार करता है। लिहाजा अपनी तुलना करने की बजाए अपने बेडरूम स्किल्स को बेहतर बनाने की कोशिश करें।