बिहार विधानसभा चुनाव में आलू-टमाटर की कीमत बढ़ा सकती है मुश्किलें

बिहार विधानसभा चुनाव में आलू-टमाटर की कीमत बढ़ा सकती है मुश्किलें

 नई दिल्ली 
बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में उछाल से सरकार की धड़कनें बढ़ गई हैं। सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगाकर बढ़ते दामों को नियंत्रित करने की कोशिश की है, पर आलू और टमाटर अब भी ‘लाल’ हैं। सरकार का मानना है कि प्याज की कीमतों पर अंकुश लगाने का उसके पास तंत्र है, पर आलू-टमाटर पहुंच से बाहर हैं। इससे एनडीए की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

सरकार की मुश्किल यह है कि विपक्ष ने अभी से महंगाई को सियासी मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने की जिम्मेदारी केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय की है। इस मंत्रालय का प्रभार लोकजनशक्ति पार्टी के वरिष्ठ नेता रामविलास पासवान के पास है। लिहाजा, विपक्ष इस मुद्दे पर भाजपा, जेडीयू और लोजपा को घेरने की पूरी कोशिश करेगा। कोरोना महामारी की वजह से लोग पहले ही मुश्किलों से गुजर रहे हैं।

उपभोक्ता मंत्रालय की सचिव लीना नंदन ने कहा कि प्याज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए निर्यात पर रोक लगाई गई है। इसके साथ मंत्रालय कई दूसरे कदम भी उठा रहा है। प्याज की कीमत पहुंच से बाहर होती है, तो केंद्र सरकार के पास बफर स्टॉक भी मौजूद है। पिछले साल के मुकाबले इस बार लगभग दोगुने प्याज का बफर स्टॉक बनाया गया है। सरकार के पास इस साल करीब एक लाख टन प्याज का बफर स्टॉक है। पिछले साल 57 हजार टन था। 

मूल्य निगरानी विभाग नजर रख रहा
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी बफर स्टॉक के जरिए हस्तक्षेप करने का समय नहीं आया है, क्योंकि प्याज की कीमत अभी उस ऊंचाई तक नहीं पहुंची है। आलू और टमाटर की कीमतों में वृद्धि से चिंता जरूर है, क्योंकि सरकार और सत्तारूढ़ दल के पास इस वक्त लोगों को समझाने की कोई उचित वजह नहीं है। आलू की खुदरा कीमत पचास रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। आलू की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार के पास अधिकार बहुत सीमित है। आलू और प्याज को पहले ही आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से बाहर किया जा चुका है। हालांकि, उपभोक्ता मंत्रालय का मूल्य निगरानी विभाग अब भी इनकी कीमतों पर प्रतिदिन नजर रख रहा है।

उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा आलू पैदा होता है। इस साल दोनों प्रदेशों में आलू कम होने की वजह से बाजार में उपलब्धता कम हुई है। आलू की नई फसल नवंबर के दूसरे सप्ताह तक आने की उम्मीद है। टमाटर के दाम भी सत्तर रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। मानसून की वजह से भी सब्जियों की आवाजाही बाधित हुई है। ऐसे में अभी दाम कम होने की उम्मीद कम है।