प्रदेश सरकार ने 10 सालो के लिए 500 करोड़ का लोन रिजर्व बैंक से लिया

प्रदेश सरकार ने 10 सालो के लिए 500 करोड़ का लोन रिजर्व बैंक से लिया

भोपाल
कोरोना संक्रमण  की वजह से किए गए लॉकडाउन  के चलते आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से बंद है. इसका सीधा असर केंद्र और राज्य सरकारों को मिलने वाले टैक्स पर पड़ा है. पिछली कांग्रेस सरकार के लोन लेने पर निशाना साधने वाली मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार भी कर्ज के भरोसे आ गई है. लॉकडाउन के कारण पटरी से उतर चुकी योजनाओं के फिर से रफ्तार देने के लिए शिवराज सरकार ने 500 करोड़ का कर्ज लिया है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से सरकार ने 10 सालों के लिए यह बड़ी राशि ली है.

लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से बंद रही है. इसका असर केंद्र और राज्य के टैक्स पर भी पड़ा है. प्रदेश को करीब साढ़े 23 हजार करोड़ का नुकसान विभिन्न कर के माध्यम से हुआ है. 1 जून से अनलॉक वन किया गया है. अब धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य होती जा रही हैं. अब पेट्रोल और डीजल की खपत भी बढ़ेगी और सरकार के राजस्व में वृद्धि होने का अनुमान है. बताया जा रहा है कि आबकारी से होने वाली आय में 2800 करोड़ रुपए का नुकसान शराब दुकान न खोलने के बीच हुआ है. ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि राजस्व वसूली होने के साथ ही सरकार की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा. ज

 8 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है सरकार

साल 2020 में सरकार ने 10 बार में करीब साढ़े आठ हजार करोड़ का कर्ज लिया है. कांग्रेस सरकार ने शुरुआती छह महीनों में ही खजाना खाली होने की बात कहते हुए 86 सौ करोड़ रुपए का कर्जा लिया था. अब एक बार फिर से मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार 500 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है. सरकार ने 3 जून को 10 साल के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से विकास योजनाओं के लिए कर्ज लिया है.

कर्ज की सीमा में 2 फीसदी वृद्धि

राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में कर्ज लेने की सीमा बढ़ा दी गयी है. तीन से बढ़ाकर कर्ज की सीमा 5 फीसदी कर दी गई है. 0.5 फीसदी कर्ज़ तीन से चार सुधारों पर खर्च करना होगा. सरकार इस साल 45 हज़ार करोड़ रुपए तक का कर्ज ले सकती है. पहले कर्ज़ लेने की सीमा लगभग 26 हजार करोड़ रुपए थी.