ऑपरेशन कोरोना मास्क: धड़ल्ले से बनाए जा रहे फर्जी मास्क 

ऑपरेशन कोरोना मास्क: धड़ल्ले से बनाए जा रहे फर्जी मास्क 

नई दिल्ली
Covid-19 या कोरोना वायरस संक्रमण दूर रखने के लिए हर कोई चेहरे पर मास्क की सुरक्षा चाहता है. ऐसे में देश की राजधानी दिल्ली और आसपास रातों-रात घटिया सर्जिकल मास्क का अंडरग्राउंड बाजार काम करने लगा है. ये खुलासा इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (SIT) की जांच से हुआ है. जांच से सामने आया कि मास्क की ये सप्लाई जहां से आती है, वहां न तो साफ-सफाई और न ही सुरक्षा जैसे किन्हीं मानकों का पालन किया जाता है. यानि ऐसे मास्क को पहनना खुद में ही संक्रमण को न्योता देना है. दुनिया भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं कि Covid-19 का फैलाव संक्रमित व्यक्ति की सांस के साथ आने वाली ड्रॉपलेट्स से पैलता है. साथ ही वायरस वाली सतहों और चीज़ों को छूने से भी ये संक्रमण फैलता है. 

थैलियां बन गईं मास्क
इन्हीं गलियों में दिलीप कुमार राय से अंडर कवर रिपोर्टर ने बात की. राय अभी तक टोटियों की पैकिंग के लिए थैलियां बनाया करता था लेकिन अब मास्क की भारी डिमांड को देखते हुए उसी पैकिंग मैटीरियल से मास्क बनाने लगा. उसने इनके उत्पादन का काम पड़ोस में रहने वाले लोगों को ही आउटसोर्स कर रखा है. राय ने बताया, “ये मैटीरियल मेरे दोस्त की फैक्ट्री में बनता है. वहां से इसे लाकर हम यहां सिलते हैं. हमने ये काम आसपास के घरों में बांट रखा है. उन्हें 2000, 4000, 5000 पीस दिए जाते हैं. वो अपने घरों में इन्हें बनाते हैं.’’

भारी उत्पादन, भारी सप्लाई
राय ने कबूल किया कि वो एक बार में ही दो लाख मास्क में लगने वाला मैटीरियल हासिल कर सकता है और इन्हें 5,000 के बंडलों में उत्पादन में लगे घरों में बांट देगा. राय के मुताबिक इसी मैटीरियल से पहले नलों की टोंटियों को पैक करने वाली थैली बनाई जाती थीं. जांच में आगे सामने आया कि राय बल्क में 8 रुपए प्रति पीस के हिसाब से सप्लाई करता है. उसने दावा किया कि यही मास्क वो दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में भी सप्लाई करता है. अगर बड़ी संख्या (बल्क) में नहीं लेना है तो मैं इसे 8 रुपए से नीचे में नहीं बेचूंगा. अमूमन मैं 20,000-30,000 का आर्डर होने पर 10 रुपए प्रति पीस लेता हूं. मैंने जीटीबी (अस्पताल) को इसे 10 रुपए/पीस के हिसाब से सप्लाई करता हूं. इस धंधे में लगा राय अकेला शख्स नहीं है.

न ग्लव्स, न स्टरलाइजेशन
दिल्ली के पास ही नोएडा में इंडिया टुडे की इंवेस्टीगेटिव टीम एक खस्ताहाल इमारत में पहुंची. यहां फर्जी सर्जिकल मास्क की फैक्ट्री चलाई जा रही थी. नोएडा के सेक्टर 6 स्थित इस फैक्ट्री में न तो मास्क सिलने वालों के हाथों में ग्लव्स दिखे. न ही यहां कोई स्टरलाइजेशन या साफ-सफाई का ध्यान रखा गया था. बिष्ट ने हाथों हाथ एक लाख मास्क उपलब्ध कराने का दावा किया. बिष्ट ने कहा, ‘एक लाख पीस अभी ले लो, वो तैयार हैं.’ बिष्ट ने पूरी पेमेंट कैश में देने की शर्त रखी. बिष्ट ने कहा, ‘अभी हम आर्डर एडवांस में ले रहे हैं. फैक्ट्री 24 घंटे चल रही है.’ बिष्ट ने कबूल किया कि यूनिट किसी स्टरलाइजेशन प्रोटोकॉल का पालन नहीं करती. बिष्ट ने कहा, ‘उन्हें स्टरलाइज करने की जरूरत नहीं है.’

न कोई बंदी, न कोई सोशल डिस्टेंसिंग 
गाजियाबाद के उद्योग कुंज इंडस्ट्रियल एरिया में मास्क बनाने समय कर्मचारी एक दूसरे से सटे बैठे हुए देखे गए. उनके बॉस राहुल अग्रवाल ने कबूल किया कि Covid-19 सावधानियों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता. अग्रवाल ने कहा, ‘हम पहले कैरी बैग्स बनाया करते थे.’ अग्रवाल के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से मास्क की भारी डिमांड को देखते हुए शिफ्ट कर लिया. अग्रवाल ने कहा, ‘आपको वो (मास्क) 100 पीस की पैकिंग में मिलेंगे. ये 100 पीस का बॉक्स होगा. मेडिकल स्टोर पर इन्हें रिटेल कीमत पर बेचा जा सकता है.’