क्या सिंधिया के विंध्य दौरे से मिल सकेगी सुप्तप्राय कांग्रेस को संजीवनी

rajesh dwivedi सतना। जातिवाद व गुटबाजी से लिथड़ी विंध्य की कांग्रेसी राजनीति को कांग्रेस की यूथ पालिटिक्स के आईकान बने ज्योतिरादित्य सिंधिया कितनी गति दे पाएंगे यह तो वक्त के गर्भ में है लेकिन उनके विंध्य-बुंदेलखंड के दौरों का राजनैतिक आंकलन शुरू हो गया है। कभी कांग्रेसी किला रहे विंध्य में कांग्रेस को जीत की संजीवनी की तलाश है ऐसे में ज्योतिरादित्य की लोकप्रियता व संगठनात्मक कौशल पार्टी के जीत की संभावनाओं को कितना बढ़ाएगा, इसको लेकर राजनैतिक विश्लेषक अपनी अलग-अलग राय रखते हैं। कांग्रेसी राजनीति की गहरी समझ रखने वाले जानकारों का मानना है कि यदि प्रदेश चुनाव अभियान समिति का दायित्व लेने वाले ज्यातिरादित्य कांग्रेस में व्याप्त गुटबाजी पर अंकुश लगाने व सत्ता से दूर रहने के कारण हतोत्साहित कार्यकर्ताओं की हताशा दूर करने में कामयाब होते हैं तो पार्टी अपेक्षित व सकारात्मक परिणाम देकर भाजपा को सत्ता के गलियारे से बैकफुट पर ढकेलने में कामयाब हो सकती है। [caption id="attachment_113900" align="aligncenter" width="759"]Will Suvaprai Congress get Sanjivani from Sindhi's Vindhya tour? jyotiraditya-scindia[/caption] संगठनात्मक बदलाव से भी नहीं बदली सूरत बेशक कांग्रेस ने प्रदेश में कांग्रेस को चार्ज करने के लिए प्रदेश से लेकर जिलास्तर तक संगठनात्मक बदलाव किए हों, लेकिन कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा इस बदलाव को स्वीकार करने से हिचक रहा है। जिस प्रकार से संगठन पदाधिकारियों की नियुक्ति के बाद उठा -पटक देखी जा रही है, उससे कांग्रेस के भीतर गुटबाजी बढ़ने की संभावना है। विगत दिवस पन्ना जिले के गुनौर में अखिल भारतीय राष्टÑीय कांग्रेस के महासचिव व विंध्य-बुंदेलखंड प्रभारी सुधांशु त्रिपाठी की मौजूदगी में आयोजित हुई संविधान बचाओ रैली का विरोध स्थानीय संगठन ने करते हुए निंदा प्रस्ताव पारित किया उससे यह भी स्पष्ट है कि भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के अतिउत्साह में संगठन हड़बड़ी में चुनावी कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। सवाल यह है कि क्या गुनौर में आयोजित संविधान बचाओ रैली के कार्यक्रम को लेकर स्थानीय कांग्रेस संगठन से राय-मशविरा नहीं किया गया था? यदि नहीं तो स्पष्ट है कि कांग्रेस में संगठनात्मक तालमेल का अभाव है और यदि हां तो फिर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम का विरोध स्थानीय कांग्रेसियों द्वारा क्यों किया जा रहा है। पन्ना जिले के गुनौर में आयोजित कार्यक्रम तो एक बानगी है, ऐसे कार्यक्रमों की फेहरिश्त प्रदेश में लंबी होती जा रही है, जिनको लेकर ऐसे विवाद सामने आ रहे हैं। निश्चित तौर पर प्रदेश चुनाव प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया व नए प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के सामने ऐसी विसंगतियों को दूर करने की चुनौती है। इस चुनौती से पार पाए बिना डेढ़ दशक से सत्ता की पालकी में सवार भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का सपना देखना कांग्रेस के लिए ‘मुंगेरीलाल का हसीन सपना’ बन सकता है। चार दिग्गजों की एकजुटता से ही बनेगी बात मध्यप्रदेश की कांग्रेसी राजनीति में पांच ऐसे दिग्गज नेता हैं जिनका अपने-अपने क्षेत्रों में खासा प्रभाव है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ, प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल ऐसे चार दिग्गज हैं जो पार्टी के पक्ष में जनमत निर्माण करने की क्षमता रखते हैं। इन नेताओं क ी अपने-अपने पालिटिकल फैन फालोअर्स हैं, लेकिन राजनैतिक परिदृश्य में अब तक ये सभी एक दूसरे के सहयोगी कम प्रतिद्वंदी ज्यादा नजर आते रहे हैं, जिसके कारण इन दिग्गजों के समर्थक भी अपने-अपने क्षेत्र में दूसरे नेता के समर्थकों से प्रतिद्वंदिता का भाव रखते रहे हैं। इसी का फायदा भाजपा विगत डेढ़ दशक से प्रदेश में उठाती रही है और कांग्रेस को सत्ता का वनवास भोगने के लिए मजबूर करती रही है। ऐसे में यह बेहद आवश्यक है कि प्रदेश के यह चारों दिग्गज एकजुटता के साथ कार्यकर्ताओं के सामने आएं और यह संदेश दें कि तमाम तरह के संगठनात्मक फेरबदल पार्टी हित में किए गए हैं ताकि पार्टी को पुन: सत्ता के मंदिर में स्थापित किया जा सके। अब इसे शीर्ष स्तर पर व्याप्त गुटबाजी कहें अथवा कार्यकर्ताओं का मिजाज न भापने की पार्टी प्रबंधन की नाकामी कि इस ओर अभी तक दिग्गजों ने ध्यान नहीं दिया है और ऐसे कोई प्रयास नहीं हुए है कि जिससे कार्यकर्ता स्तर तक यह संदेश जा सके कि चारों दिग्गज मिलकर यहां भाजपा का मुकाबला कर रहे हैं। नतीजतन अलग-अलग गुटों में बटे पदाधिकारी व कार्यकर्ता अपने-अपने नेता के लिए अपनी ढपली अपना राग गा रहा है। खजुराहो से शहडोल तक 27 विधानसभा क्षेत्र 11 जुलाई को खजुराहो से प्रारंभ हुई सिंधिया की राजनैतिक यात्रा सतना, रीवा होते हुए शहडोल पहुंच रही है जहां वे कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कर उन्हें चुनावी दौड़ में पार्टी को सरपाट दौड़ने का मंत्र बता रहे हैं। इस दौरान खजुराहो से लेकर शहडोल तक 27 विधानसभा क्षेत्रों के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के बीच वे अपनी उपस्थिति दर्ज करा उनमे जोश भरेंगे। एकला चलो रे से नहीं चलेगा काम बेशक कांग्रेस के शीर्ष नेता एकजुटता से प्रदेश में भाजपा से मुकाबला करने के दावे कर रहे हों लेकिन अभी भी पदाधिकारी व कार्यकर्ता एकला चलो का राग ही गा रहे हैं। पार्टी के बजाय अपने-अपने राजनैतिक आकाओं के प्रति गहरी प्रतिबद्धता ने कार्यकर्ताओं को पार्टी प्रतिबद्धता से दूर कर दिया है। हालांकि इसके लिए भी पार्टी के दिग्गज नेता ही जिम्मेदार हैं क्योंकि उन्होने अपने समर्थकों व कार्यकता्रओं के बीच पार्टी प्रतिबद्धता की राजनैतिक संस्कृति नहीं विकसित की, नतीजतन कार्यकर्ताओं की प्रतिबद्धता अपने राजनैतिक सरपरस्तों तक ही सिमटी रह गई। ज्यातिरादित्य निश्चित तौर पर उर्जावान हैं और उनकी छवि के कायल केवल उनके दल के ही नहीं बल्कि विपक्षी दल के भी लोग हैं, लेकिन इस उर्जा और छवि से वे कार्यकर्ताओं को कितना प्रेरित कर सकेंगे, यह आगामी दिनों में ही पता चल सकेगा। बेशक ज्योतिरादित्य का कद कांग्रेस में बड़ा है और उन्होने कई चुनावी जीतें हासिल की हों लेकिन उनके संगठनात्मक व रणनीतिक कौशल की असली परीक्षा अब शुरू हुई है। प्रदेश के सभी दिग्गज कांग्रेसियों को एकजुटता के सूत्र में पिरोकर यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस को चुनावी रेस जिताने में कामयाब हो जाते हैं, तो उनका कद कांग्रेस में और बड़ा हो जाएगा। ऐसे में उन्हें पालिटिकल गेमचेंजर की भूमिका निभानी होगी और हर गुट का विश्वास जीतना होगा तभी गुटों में बटा हर धड़ा उनके राजनैतिक छाते तले खड़ा होगा। - इन विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को करेंगे प्रभावित जिला विधानसभा क्षेत्र पन्ना पवई, पन्ना, गुनौर छतरपुर बड़ा मलहरा, चंदला, महाराजपुर, बिजावर, राजनगर, छतरपुर सतना मैहर, चित्रकूट, रैगांव, अमरपाटन, रामपुर बाघेलान, नागौद व सतना रीवा मनगवां, गुढ़, देवतालाब, मऊगंज, सिरमौर, त्यौंथर,सेमरिया व रीवा शहडोल जयसिंहनगर, ब्यौहारी, जैतपुर