rajesh dwivediसतना । प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान को लेकर लगाई जा रही अटकलों के बीच एक आदेश ने खलबली मचा दी है। सीधे विधानसभा सचिवालय से पहुंचे इस आदेश ने अफसरों को भी असमंजस में डाल दिया है। वे खुद भी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि करें तो आखिर क्या ?
जिला कलेक्ट्रेट में एक ऐसा आदेश पहुंचा है जिसने अफसरशाही के भी हाथ -पांव फुला दिए हैं। किसी को यह समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसा आदेश आखिर आया कहां से और इसे भेजने के पीछे औचित्य क्या हो सकता है। दरअसल यह आदेश सीधे विधानसभा सचिवालय से जारी कर दिया गया है जिसमे प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए सरकारी कार्यालयों में होने वाली नियुक्तियों पर रोक लगाने ,उन्हें निरस्त करने और चुनाव के बाद ही नियुक्ति पत्र जारी करने के लिए कहा गया है। मध्य प्रदेश शासन विधानसभा के अपर सचिव के हस्ताक्षर के साथ गत 23 जुलाई 18 को क्रमांक 613 /प्रश्न -1 / सा (1 ) के साथ जारी इस आदेश में विधानसभा सचिवालय के पत्र क्रमांक 20784 / प्रश्न -1 दिनांक 23 जुलाई का हवाला देते हुए कहा गया है कि दिसंबर 2018 में चुनाव होने हैं जिसे देखते हुए 28 जुलाई को अचार संहिता लागू कर दी जायेगी इसलिए भर्ती और नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई है। सूत्र बताते हैं कि यह आदेश सिर्फ सतना ही नहीं प्रदेश के अन्य जिलों में भी पहुंचा है और हर जगह इसे लेकर एक ही जैसा असमंजस है। अफसर न इसे नकार पाने की स्थिति में हैं और न ही इसे स्वीकार कर पा रहे हैं। इस मामले में जब कलेक्टर मुकेश कुमार शुक्ला से बात की गई तो उनका कहना था उस आदेश की पुष्टि के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
उठ रहे सवाल -
यह आदेश पहुंचते ही अफसरों में हड़कंप मच गया क्योंकि अभी तारीखों का ही ऐलान नहीं हुआ है फिर ऐसे में आचार संहिता कैसे प्रभावी होगी ? फिर 28 जुलाई को भी ऐसा कोई फरमान चुनाव आयोग ने भी जारी नहीं किया फिर 23 जुलाई को जारी पत्र में 28 जुलाई को अचार संहिता लागू हो जाने का हवाला कैसे और किस आधार पर दे दिया गया ? सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर नियुक्तियों पर रोक लगनी ही है और चुनाव के लिहाज से ही लगनी है तो फिर यह आदेश सामान्य प्रशासन विभाग अथवा चुनाव आयोग के बजाय विधानसभा सचिवालय को क्यों जारी करना पड़ा है ? हालांकि कुछ अफसर तो इसे किसी की शरारत भी मानते हैं लेकिन तब भी सवाल बड़ा है कि आखिर इसकी जरुरत किसे -क्यों पड़ी और उसने इसके लिए सरकारी सिस्टम में घुसपैठ आखिर कैसे कर ली