कार्यक्रम में शामिल हुए राज्यपाल कोहली
dhananjay tiwari
रीवा। शनिवार को अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित किए गए 6वें दीक्षांत समारोह में मध्यप्रदेश के राज्यपाल महामहिम ओपी कोहली को मानद उपाधि प्रदान की गई। पंडित श भूनाथ शुक्ल सभागार में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में महामहिम को जब कुलाधिपति ने मानद उपाधि प्रदान की तो समूचा सभागार तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। उनके शनिवार के आगमन के पूर्व राजभवन से उनका स्टाफ और सुरक्षा दस्ता रीवा पहुंच गया था, जिसने संपूर्ण कार्यक्रम पर अपनी पैनी नजरें गड़ाई रखी। कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया, खनिज संसाधन मंत्री राजेन्द्र शुक्ला के अलावा गोवाहाटी हाईकोर्ट के मु य न्यायाधिपति व विंध्य के रहवासी अजीत सिंह, प्र यात शास्त्रीय गायक पद्मभूषण छन्नूलाल मिश्रा, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र नईदिल्ली के अध्यक्ष पद्मश्री रामबहादुर राय व अनुसूचित जनजाति आयोग नईदिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदकुमार साय भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय की दुल्हन की तरह की गई साज सज्जा अतिथियों का मन मोहती रही। वर्ष 1968 में स्थापित किए गए अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में दीक्षांत की परंपरा करीब 45 साल पुरानी है। यह परंपर 10 जनवरी 1973 को शुरू की गई थी। तत्कालीन कुलपति पंडित श भूनाथ शुक्ल ने इसकी शुरूआत की थी। इस कार्यक्रम में मप्र के गर्वनर रहे सत्यनारायण सिंह और मु यमंत्री प्रकाशचन्द्र सेठी ने हिस्सा लिया था। तब से दीक्षांत समारोह लगातार मनाया जा रहा है। गौरतलब है कि करीब 50 वर्षो के अपने इतिहास को संजोए हुए यह विश्वविद्यालय इस साल गोल्डन जुबली मना रहा है। इससे पहले 2009 और फिर वर्ष 2012 में दीक्षांत मनाया गया था। जबकि वर्ष 2015 से लगातार प्रतिवर्ष दीक्षांत समारोह आयोजित किया जा रहा है। दीक्षांत समारोह के पीछे विश्वविद्यालय का उद्देश्य होता है कि पढ़ाई करने वाले छात्र की शिक्षा पूरी होने के बाद उसके गुरू और कुलगुरू दीक्षा प्रदान करें। इससे छात्रों का मनोबल बढ़ता है।
पोषाक में दिखी भारतीय संस्कृति की झलक
दीक्षांत कार्यक्रम में अब तक नजर आने वाली अंग्रेजी पोषाक यानी किगाउन दीक्षांत समारोह में नदारद नजर आई और 6वें दीक्षांत समारोह की पोषाकों में भारतीय संस्कृत की झलक देखी गई।छात्रों जब कुर्ता पायजामा और छात्राएं कुर्ता सलवार एवं दुपट्टा के साथ ही जब पगड़ी पहनाकर आईं तो मौजूद अतिथि भारतीय पारंपरिक पोषाकों का प्रदर्शन देख रामांचित हो उठे। पोषाक में विश्वविद्यालय का मोनो उनके पगड़ी और पहनाए जाने वाले बेल्ट दुपट्टे में लगााकर शैक्षणिक व पारंपरिक संगम का अद्भुत नजारा पेश किया गया।