शिष्यों को दिया आशीष, गुरू की भूमिका में नजर आए CM योगी

गोरखपुर 
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को गुरू पूर्णिमा के अवसर पर बदली हुई भूमिका में नजर आए। गोरखनाथ मंदिर में नाथ सम्प्रदाय के शिष्यों और हजारों श्रद्धालुओ के बीच गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ पूरी तरह से गुरू की भूमिका में रहे और पूरा परिसर गुरू महिमा के मंत्रोचार के साथ गूंज उठा। उन्होंने शिष्यों को चन्दन लगाकर आशीर्वाद दिया और शिष्यों ने उन्हें भी पहले चन्दन लगाकर चरण स्पर्श करने के बाद दक्षिणा भी दी।

इस अवसर पर गोरखनाथ के प्रथम पुजारी योगी कमलनाथ ने गुरू गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ का तिलक, हल्दी, चन्दन, रोली, दही से अभिषेक किया। इसके बाद सुगन्धित पुष्प की माला पहनाकर चरण स्पर्श किया एवं दक्षिणा के रूप में 101 रुपए अपने गुरू को दिए। बाद में कतारबद्ध खड़े शिष्यों ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच योगी के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरूपूर्णिमा के अवसर पर मंदिर में आज देश के विभिन्न प्रान्तों से आए हजारों भक्त सुबह से ही गुरू की प्रतीक्षा कर रहे थे और गुरू गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने किसी को निराश नहीं किया। लगभग 2 घंटे तक मंदिर के तिलक हाल में चले इस कार्यक्रम में उन्होंने बारी-बारी सबको तिलक लगाकर आर्शीवाद दिया।

मंदिर में गुरू पूर्णिमा के अवसर पर हमेशा यह आयोजन होता रहा है मगर आज नजारा कुछ बदला बदला रहा। गोरक्षनाथ मंदिर में पहली बार कोई पीठाधीश्वर ब्लेक कैट कमांडो से घिरा हुआ था। सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे मगर शिष्यों को किसी प्रकार का कष्ट न हो, मुख्यमंत्री के इस निर्देश का भी पालन हो रहा था। गोरक्षपीठाधीश्वर ने विभिन्न प्रान्तों से आए हुए शिष्यों को उपदेश देते हुए कहा कि गुरू पूर्णिमा की परम्परा अत्यंत पुरानी है। उन्होंने कहा कि हम सबको धर्म में आस्था रखनी चाहिए और धर्म के बाद देश और समाज है। उन्होंने कहा कि धर्म सुरक्षित रहेगा तो देश तथा समाज भी सुरक्षित रहेगा इसलिए प्रत्येक धर्म का सम्मान करना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने गुरू पूर्णिमा के अवसर आज प्रदेश के लोगों की अपनी शुभ कामना देते हुए कहा कि आज लोग अपने से श्रेष्ठजन और गुरूजनों का सम्मान कर आार्शीवाद प्राप्त करते हैं। गोरखनाथ मंदिर में सुबह से ही गुरूपूर्णिमा का अनुष्ठान शुरू हो गया। सुबह 5 बजे से 6 बजे तक गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ महायोगी गुरू गोरखनाथ का पूजन कर रोट का प्रसाद चढ़ाया और उसके बाद मंदिर के सभी देव विग्रहों की वैदिक मंत्रोचार के बीच पूजा अर्चना की गई।