परिवार से लेकर कोर्ट तक की लड़ाई, महिला ने किडनी देकर बचाई दोस्त की जान

बेंगलुरु 
आर्मी के ऑफिसर दोस्त को वह अपना किडनी देना चाहती थी। उसके परिवारवाले इसका विरोध कर रहे थे। यहां तक कि उसके परिवार ने सरकार से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा। अपने दोस्त की जान बचाने के लिए उसने परिवार से लेकर अदालत तक लड़ाई लड़ी। यह मामला हाई कोर्ट में पहुंचा और आखिरकार लंबी जंग के बाद अदालत ने मंजूरी दे दी। 
 

इस मामले में राजस्थान की रहने वाली 48 वर्षीय वर्षा शर्मा ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी और अब जाकर अदालत ने वर्षा को अपने दोस्त के लिए किडनी डोनेट करने की हरी झंडी दे दी। 27 जुलाई को कर्नल पंकज भार्गव का कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट हुआ। किडनी डोनर और गिफ्ट ऑफ लाइफ अडवेंचर फाउंडेशन के फाउंडर अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि वह पिछले एक साल से कर्नल भार्गव के संपर्क में थे। 

किडनी डोनेट को लेकर बदलेगी सोच 
वर्षा ने अपने दोस्त की जान बचाने के लिए परिवार से लेकर कोर्ट तक लड़ाई लड़ी। उन्हें उम्मीद है कि इस केस के बाद स्टेट ऑर्थराजेशन कमिटी (राज्य प्राधिकरण समिति) अनरिलेटेड ऑर्गन ट्रांसप्लांट (असंबद्ध अंग प्रत्यारोपण) पर फिर से विचार करेगी। 

श्रीवास्तव ने कहा, 'मुझे ऐसा नहीं लगता है कि वर्षा के केस के बाद अनरिलेटेड डोनरों की संख्या बढ़ जाएगी लेकिन इस तरह के मामलों में कमिटी कैसे प्रतिक्रिया देती है यह मैटर करता है।' 

एक दिन में केस पर फैसला सुनाया 
इस संबंध में वर्षा से बात नहीं हो सकी, क्योंकि वह अभी हॉस्पिटल में हैं। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने पता किया तो पता चला कि वर्षा अक्टूबर, 2017 से किडनी डोनेट करना चाहती थी, लेकिन उसके परिवारवाले इसके खिलाफ थे। 

10 अप्रैल को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने राज्य प्राधिकरण समिति और हॉस्पिटल के ट्रांसप्लांट पैनल को एक पत्र भेजकर इस डोनेशन को रोकने के लिए कहा। मई में वर्षा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से लगाई गई रोक हटाई जाए और उसे अपने दोस्त को किडनी देने की अनुमति दी जाए। 

हाई कोर्ट ने न सिर्फ एक दिन में एक केस पर फैसला सुनाया, वहीं एक कमिटी भी बनाई जिसने एक महीने के अंदर वर्षा को अनुमित दे दी। कमिटी के चेयरपर्सन डॉ. भानू मूर्ति ने कहा कि वह मानते हैं कि वर्षा के केस में ट्रांसप्लांट की अनुमति देते समय प्रशासनिक कमियां रहीं। पुरानी कमिटी को दो साल से ऊपर हो गया था। 

वर्षा की बहन ने किया था विरोध 
उन्होंने कहा, 'हमने कोर्ट से बताया कि सरकार ने आदेश दिया था कि पुरानी कमिटी तब तक काम करेगी जब तक नई नहीं बन जाती। जब नई कमिटी का आदेश हो गया तो हमने वर्षा के केस में ट्रांसप्लांट की अनुमति देने के साथ ही दस अन्य मामलों में भी अनुमति दी।' उन्होंने बताया कि सिर्फ पुलिस सत्यापन की रिपोर्ट आने और परिवार के डोनर बैकग्राउंड के बारे में जानने के लिए देरी हुई। इस ट्रांसप्लांट का विरोध कर रही वर्षा की बहन का भी कमिटी ने बयान दर्ज किया। 

उन्होंने कहा, 'वर्षा की बहन ने हम लोगों को इस ट्रांसप्लांट के विरोध में पत्र लिखा था। हालांकि वह समस्या नहीं थी क्योंकि वर्षा बालिग है और उसने पहले ही पैनल के सामने अपना पक्ष रख दिया था। इस केस में किडनी देने और लेने वालों के बीच कोई रुपयों का लेनदेन नहीं हुआ। उसने सिर्फ प्यार में अपनी किडनी डोनेट की।'