नौकरी घोटाला: बीजेपी सांसद की बेटी समेत 19 अधिकारी गिरफ्तार

गुवाहाटी/डिब्रूगढ़
बीजेपी सांसद आरपी शर्मा की बेटी पल्लवी शर्मा समेत असम सरकार के 19 अधिकारियों को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया। वर्ष 2016 में हुए असम लोक सेवा आयोग (एपीएससी) की परीक्षा की आंसर शीट में उनकी हैंडराइटिंग का मिलान नहीं होने के कारण इन लोगों को गिरफ्तार किया गया।


असम पीएससी में नौकरी के लिए कैश मामले की जांच कर रही डिब्रूगढ़ पुलिस ने असम सिविल सेवा (एसीएस), असम पुलिस सेवा (एपीएस) और सहायक सेवाओं 2016 बैच के 19 अधिकारियों को समन किया है। इन अधिकारियों की आंसर शीट की फरेंसिक जांच में गड़बड़ी के संकेत मिलने के बाद उन्हें हैंडराइटिंग टेस्ट में शामिल होने के लिए कहा गया है।

'हैंडराइटिंग से नहीं हुआ मिलान'
डिब्रूगढ़ के एसपी गौतम बोरा ने बुधवार को कहा कि 19 अधिकारियों की हैंडराइटिंग का उनके आंसर शीट से मिलान नहीं हुआ, जिन्हें पहले फरेंसिक जांच में फर्जी पाया गया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को गुवाहाटी में गिरफ्तार किया गया। राकेश पाल जब एपीएससी के अध्यक्ष थे, उस समय आयोजित परीक्षा में 19 अधिकारियों का चयन हुआ था। पाल और आयोग के 3 अन्य अधिकारियों को नौकरी के बदले कैश मामले में कथित तौर पर संलिप्तता के लिए वर्ष 2016 में गिरफ्तार किया गया था।


बोरा ने बताया कि गिरफ्तार अधिकारियों में 13 एसीएस, तीन एपीएस और तीन सहायक सेवाओं के अधिकारी शामिल हैं। एएसपी और जांच अधिकारी सुरजीत सिंह पनेश्वर ने बताया कि तेजपुर से बीजेपी सांसद आरपी शर्मा की बेटी पल्लवी शर्मा एपीएस अधिकारी हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने इससे पहले पाल, एपीएससी सदस्य समेदुर रहमान और बसंत कुमार डोले और सहायक परीक्षा नियंत्रक पबित्र कैबराता समेत 35 लोगों को गिरफ्तार किया था।

इससे पहले असम सरकार ने इस साल 21 जून को राज्य सिविल सेवा के 13 अधिकारियों को नौकरी के बदले कैश मामले में कथित संलिप्तता के लिए नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। बर्खास्त अधिकारी पिछले साल नवंबर में जब प्रोबेशन पर थे, उसी वक्त उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और वर्तमान में वे गुवाहाटी सेंट्रल जेल में बंद हैं। उन पर पाल को रिश्वत देने और राज्य सिविल सेवाओं में अनुचित माध्यम का प्रयोग करने के आरोप हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के समय हुआ था घोटाला
असम में भारतीय जनता पार्टी सरकार ने पैसों के बदले नौकरी घोटाले के मामले में इन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। यह सोनोवाल सरकार का भ्रष्टाचार के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा अभियान है। ये घोटाला पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के कार्यकाल के समय हुआ था।